कहा जाता है की सावन मॉस सर्वकामना सीधी अमृत महोत्सव है |इस माह में जो विशिष्ट शिव साधना को प्राप्त कर लेता है,उसका दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता है |भगवान शिव की यह साधना उसकी दरिद्रता को मिटाकर सम्पन्नता की पंक्तियाँ लिख देती है |यदि जीवन में कोई समस्या है,तों कलयुग में शिव साधना अचूक रामबाण दवा है |
सावन माह भगवान भोले नाथ के नाम है |यदि जीवन में शिवत्व प्राप्त करना है,तों सावन माह से अच्छा कोई मुहूर्त नहीं है |इस पुन्य मुहूर्त की प्रतीक्षा हर साधक को रहती है |
शिवकृपा है,तों खुशियाँ हैं...
माता पार्वती,शक्ति स्वरूप है |सभी देवताओं में अग्र पूज्य गणपति भी शिवपुत्र हैं,जो सभी प्रकार के विघ्न ,अड़चनों,बाधाओं को समाप्त करने वाले देव हैं |इसलिए शिव की आराधना को बहुत ही शुभफलदायी माना जाता है |कहते हैं,सावन मॉस में शिव की साधना करने से गणपति साधना का भी साक्षात फल मिलता है,इसलिए कहा गया है-'जहां शिव है,वहाँ सबकुछ है...और जिसने शिव को प्राप्त कर लिया,उसने जीवन में पूर्णता प्राप्त कर ली |'
शिव पूजन विधि
वैदिक दर्शन में शिव को वेदो के स्वरूप माना गया है |'वेद:शिव शिवो वेद:'इस सूत्र के आधार शिव पूजन की कई प्रकार की विधियाँ प्रचलित हैं |इनमे से सर्वमान्य पूजन विधि इस प्रकार है :
- सर्वप्रथम स्थान आदि क्रियाओं से शुद्ध होकर निवास स्थान में पूजनं स्थल के अंतर्गत शिवलिंग के समक्ष आसन ग्रहण करें |फिर माता-पिता,गुरुजन आदि का ध्यान करें |इसके पश्चात भगवान शिव के समस्त गनों का आव्हान करें |
- पंचोपचार पूजन की विधि :तीर्थ जल,(गंगा,नर्मदा,यमुना आदि )गंध(चंदन )पुष्प को कलश में लेकर सुवासित जल से शिव पर जलधारा से अभिषेक करें |इसके बाद शिवलिंग को साफ़ कपड़े से पोंछकर चंदन आदि से लेपित करें|
- बेलपत्र,शमीपत्र,पुष्प आदि को शिवलिंग पर च्दायें |
- धुप,दीप तथा नैवेघ का भोग लगाएं |
- आरती और पुष्पांजली अर्पित कर प्राथना करें |
पूरे सावन मॉस में नित इस विधि से शिव पूजन किया जा सकता सोमवार के दिन इसी क्रम के साथ पंचामृत(दूध,दही,घी,शहद,और शक्कर )से भी स्नान कराया जा सकता है |शास्त्रों में शिवपूजन के लिए उपयुक्त समय प्रदोष काल(शाम के वक्त )को माना जाता है |पर उपर बताए गए क्रम द्वारा पूजन सुबह-शाम या दोनों ही समय किया जा सकता है |
मन्त्र जाप
पूरेसावं मॉस में रोज शिव पूजन के साथ"ओम नमः शिवाय';मंत्र का जाप भी कर सकते है |ये मन्त्र श्रेष्ठ फलदायी होता है |इसे लघु मृतुन्जय मन्त्र के नाम से भी जाना जाता है |
यदि सम्भव ही,तों शिव पंचाक्षर स्त्रोत का नित पाठ करें |शुभफल की प्राप्ति होगी |
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