हमारे ऋषि महर्षियों ने हजारो साल पहले ही संतान प्राप्ति के कुछ नियम और सयम बताये है ,संसार की उत्पत्ति पालन और विनाश का क्रम पृथ्वी पर हमेशा से चलता रहा है,और आगे भी चलता रहेगा। इस क्रम के अन्दर पहले जड चेतन का जन्म होता है,फ़िर उसका पालन होता है और समयानुसार उसका विनास होता है।
मनुष्य जन्म के बाद उसके लिये चार पुरुषार्थ सामने आते है,पहले धर्म उसके बाद अर्थ फ़िर काम और अन्त में मोक्ष, धर्म का मतलब पूजा पाठ और अन्य धार्मिक क्रियाओं से पूरी तरह से नही पोतना चाहिये,धर्म का मतलब मर्यादा में चलने से होता है,माता को माता समझना पिता को पिता का आदर देना अन्य परिवार और समाज को यथा स्थिति आदर सत्कार और सबके प्रति आस्था रखना ही धर्म कहा गया है,अर्थ से अपने और परिवार के जीवन यापन और समाज में अपनी प्रतिष्ठा को कायम रखने का कारण माना जाता है,काम का मतलब अपने द्वारा आगे की संतति को पैदा करने के लिये स्त्री को पति और पुरुष को पत्नी की कामना करनी पडती है,पत्नी का कार्य धरती की तरह से है और पुरुष का कार्य हवा की तरह या आसमान की तरह से है,गर्भाधान भी स्त्री को ही करना पडता है,वह बात अलग है कि पादपों में अमर बेल या दूसरे हवा में पलने वाले पादपों की तरह से कोई पुरुष भी गर्भाधान करले। धरती पर समय पर बीज का रोपड किया जाता है,तो बीज की उत्पत्ति और उगने वाले पेड का विकास सुचारु रूप से होता रहता है,और समय आने पर उच्चतम फ़लों की प्राप्ति होती है,अगर वर्षा ऋतु वाले बीज को ग्रीष्म ऋतु में रोपड कर दिया जावे तो वह अपनी प्रकृति के अनुसार उसी प्रकार के मौसम और रख रखाव की आवश्यकता को चाहेगा,और नही मिल पाया तो वह सूख कर खत्म हो जायेगा,इसी प्रकार से प्रकृति के अनुसार पुरुष और स्त्री को गर्भाधान का कारण समझ लेना चाहिये। जिनका पालन करने से आप तो संतानवान होंगे ही आप की संतान भी आगे कभी दुखों का सामना नहीं करेगा…
कुछ राते ये भी है जिसमे हमें सम्भोग करने से बचना चाहिए .. जैसे अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमवाश्या .चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है।गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा।
यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।
१- चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।
२- पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।
३- छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।
४- सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।
५- आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।
६- नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।
७- दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।
८- ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।
९- बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।
१०- तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।
११- चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है।
१२- पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।
१३- सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है।
सहवास से निवृत्त होते ही पत्नी को दाहिनी करवट से 10-15 मिनट लेटे रहना चाहिए, एमदम से नहीं उठना चाहिए।
संतान प्राप्ति के लिए करें यह उपायपति-पत्नी की यह प्रबल इच्छा होती है कि उनके यहां उत्तम संतान का जन्म हो क्योंकि बिना बच्चे को परिवार पूरा नहीं माना जाता। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके यहां संतान का जन्म नहीं होता। इसके कई कारण हो सकते हैं। इस समस्या के निदान के लिए चिकित्सकीय मार्गदर्शन तो आवश्यक है ही लेकिन साथ ही यदि नीचे लिखा उपाय भी किया जाए तो संतान प्राप्ति की संभावना और भी अधिक हो जाती है।
उपाय
बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठकर पति-पत्नी संयुक्त रूप से बाल गणेश की पूजा करें तथा अपने घर के मुख्य द्वार पर बाल गणपति की प्रतिमा लगाएं। आते-जाते इस प्रतिमा के समक्ष नमस्कार करें। प्रति बुधवार को गणेशजी का पूजन करने के बाद नीचे लिखे मंत्र का विधि-विधान से जप करें। इस मंत्र का जप करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है।
मंत्र
संतान गणपतये नम: गर्भदोषहो नम: पुत्र पौत्राय नम:।
जप विधि
- प्रति बुधवार सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें।
- इसके बाद बाल गणेश की पूजा करें और उन्हें दुर्गा चढ़ाएं साथ ही लड्डूओं का भोग भी लगाएं।
- इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें।
- तत्पश्चात हरे पन्ने की माला से ऊपर लिखे मंत्र का जप करें। मंत्र का प्रभाव आपको कुछ ही समय में दिखने लगेगा।
पुत्र प्राप्ति का सरल मन्त्र
आज भी कुछ परंपरावादी लोग यह मानते हैं कि वंश मात्र लड़कों से ही चलता है। जबकि पुत्रियां चारों दिशाओं में अपनी विजय पताका लहरा रही है। पुत्र प्राप्ति के लिए लोग कई प्रकार के तंत्र-मंत्र-यंत्र और टोटके अपनाते हैं जो गलत भी हो सकते हैं। यहां पेश है पुत्र प्राप्ति के लिए अत्यंत सरल उपाय।
पुत्र की प्राप्ति के लिए रखें मंगलवार को व्रत
हर दंपत्ति की कामना होती है कि उनको सुयोग्य संतान हो। लेकिन कुछ ऐसे लोग आज भी इस दुनिया में है जो मात्र पुत्र को ही संतान के रूप में चाहते हैं। ऐसे लोगों के लिए प्रस्तुत है अचूक उपाय। मंगलवार का उपवास रखने से मनचाही संतान की प्राप्ति होती है। मुख्यत: पुत्र की चाह रखने वालों के लिए यह मंगलवार व्रत होता है। मंगलवार व्रत कथा और विधि की संपूर्ण जानकारी पढ़ें।
मंगलवार व्रत विधि
यह व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से रखा जाता है। इस व्रत को आठ मंगलवार अवश्य करें। इस व्रत में गेहूं और गुड़ से बना भोजन ही करना चाहिए। एक ही बार भोजन करें। लाल फूल चढ़ाएं और लाल वस्त्र ही धारण करें। अंत में हनुमान जी की पूजा करें।
मंगलवार व्रत कथा
एक निसंतान ब्राह्मण दंपत्ति काफी दुःखी थे। ब्राह्मण एक दिन वन में पूजा करने गया। वह हनुमान जी से पुत्र की कामना करने लगा। घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी। मंगलवार को व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करती थी।
एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पाई, और ना भोग ही लगा सकी। तब उसने प्रण किया कि अगले मंगल को ही भोग लगाकर अन्न ग्रहण करेगी। भूखी-प्यासी छः दिन तक रहने से अगले मंगलवार को वह बेहोश हो गई।
हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हो गए। उसे दर्शन देकर कहा कि वे उससे प्रसन्न हैं। उसे बालक देंगे, जो कि उसकी सेवा किया करेगा। हनुमान जी ने उस स्त्री को पुत्र रत्न दिया और अंतरध्यान हो गए।
ब्राह्मणी अति प्रसन्न हो गई। उसने उस बालक का नाम मंगल रखा। जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है? पत्नी ने सारी कथा अपने स्वामी को बताई। पत्नी की बातों को छल पूर्ण जान ब्राह्मण को अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह हुआ।
एक दिन मौका देख ब्राह्मण ने बालक को कुंए में गिरा दिया। घर पर पत्नी के पूछने पर ब्राह्मण घबराया। पीछे से मंगल मुस्कुराता हुआ आ गया। ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया।
रात को हनुमानजी ने उसे सपने में सारी कथा बताई, तो ब्राह्मण प्रसन्न हुआ। फ़िर वह दम्पति मंगल का व्रत रखकर आनंद का जीवन व्यतीत करने लगे। तब से यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
पुत्र प्राप्ति का अन्य मन्त्र
अगर आप अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए पुत्रप्राप्ति को लेकर परेशान हैं तो अब आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है, क्योकि आज हम आपको वह सरल उपाय बताने जा रहे है जिसके द्वारा आप को पुत्ररत्न की प्राप्ति हो सकती है|
तो आइये जाने क्या है पुत्रप्राप्ति का आसान मंत्र -
संतानप्राप्ती की इच्छा रखने वाली महिलाएं भगवान गजानन (गणेश जी) की मूर्ति के सामने प्रतिदिन स्नानादि करके एक माह तक बिल्ब फल चढ़ाकर इस मंत्र 'ॐ पार्वतीप्रियनंदनाय नम:' मंत्र की 11 माला प्रतिदिन जप करने से पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है|
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