सावन में पाए शिव को...



हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया।पुराणों में भगवान शिव की उपासना का उल्लेख बताया गया है। शिव की उपासना करते समय पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' और 'महामृत्युंजय' आदि मंत्र जप बहुत खास है। इन मंत्रों के जप-अनुष्ठान से सभी प्रकार के दुख, भय, रोग, मृत्युभय आदि दूर होकर मनुष्‍य को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। देश-दुनिया भर में होने वाले उपद्रवों की शांति तथा अभीष्ट फल प्राप्ति को लेकर रूद्राभिषेक आदि यज्ञ-अनुष्ठान किए जाते हैं। इसमें शिवोपासना में पार्थिव पूजा का भी विशेष महत्व होने के साथ-साथ शिव की मानस पूजा का भी महत्व है। 
सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है। एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूर्च्छित हो जाते हैं। उनकी दशा देखकर सभी देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती हैं, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं। इसके बाद से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है।
अगर आपके लिए हर रोज शिव आराधना करना संभव नहीं हो तो सोमवार के दिन आप शिव पूजन और व्रत करके शिव भक्ति को प्राप्त कर सकते हैं। और इसके लिए सावन माह तो अति उत्तम हैं। सावन मास के दौरान एक महीने तक आप भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना कर साल भर की पूजा का फल प्राप्त सकते हैं। शिव को दूध-जल, बिल्व पत्र, बेल फल, धतूरे-गेंदे के फूल और जलेबी-इमरती का भोग लगाकर शिव की सफल आराधना कर सकते हैं।
भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है।
विष की उग्रता को कम करने के लिए अत्यंत ठंडी तासीर वाले हिमांशु अर्थात चन्द्रमा को धारण कर रखा है। और श्रावण मास आते-आते प्रचण्ड रश्मि-पुंज युक्त सूर्य ( वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ में किरणें उग्र आतपयुक्त होती हैं।) को भी अपने आगोश में शीतलता प्रदान करने लगते हैं।
भगवान सूर्य और शिव की एकात्मकता का बहुत ही अच्छा निरूपण शिव पुराण की वायवीय संहिता में किया गया है।
 यथा-
'दिवाकरो महेशस्यमूर्तिर्दीप्त सुमण्डलः।
निर्गुणो गुणसंकीर्णस्तथैव गुणकेवलः।
अविकारात्मकष्चाद्य एकः सामान्यविक्रियः।
असाधारणकर्मा च सृष्टिस्थितिलयक्रमात्‌। एवं त्रिधा चतुर्द्धा च विभक्तः पंचधा पुनः।
चतुर्थावरणे षम्भोः पूजिताष्चनुगैः सह। शिवप्रियः शिवासक्तः शिवपादार्चने रतः।
सत्कृत्य शिवयोराज्ञां स मे दिषतु मंगलम्‌।'
अर्थात् भगवान सूर्य महेश्वर की मूर्ति हैं, उनका सुन्दर मण्डल दीप्तिमान है, वे निर्गुण होते हुए भी कल्याण मय गुणों से युक्त हैं, केवल सुणरूप हैं, निर्विकार, सबके आदि कारण और एकमात्र (अद्वितीय) हैं।
सावन के प्रधान देवता शिव हैं । उन्हें सर्वाधिक प्रसन्न करने का सर्वोत्तम उपाय गंगाजल से जलाभिषेक है । सावन के सोमवार को शिव अर्चना का विशेष महत्व होता है । सावन में किस प्रकार शिव की आराधना विशेष फलादयी हो जाती है, सावन शिव को अत्यंत प्रिय क्यों है, धर्मग्रंथों में इसकी प्रसंगवश व्याख्या की गई है
सावन के महीने में शिवजी को रोजाना बिल्व पत्र चढ़ाए। बिल्व पत्र की संख्या 108 हो तो सबसे अच्छा परिणाम मिलता है।
शिवजी का पूजन कर निर्माल्य का तिलक लगाए तो भी जल्दी विवाह के योग बनते हैं।
हर सोमवार खासतौर पर सावन माह के सोमवार को शिवलिंग का जल या पंचामृत से अभिषेक करें।


प्रात: काल स्नान कर घर में या शिव मंदिर में शिवलिंग को शुद्ध जल से स्नान कराएं।



शिवलिंग पर दूध मिले जल की धारा अर्पित करें। इस दौरान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का स्मरण करते रहें। फिर से पवित्र जल से स्नान कराकर शिव की पूजा गंध, अक्षत, बिल्वपत्र अर्पित करें। इन सामग्रियों के अलावा वाहन सुख की कामना पूरी करने के लिए विशेष रूप से भगवान शिव को चमेली के सुगंधित, स्वच्छ पुष्प से अर्चन व तेल का लेपन नीचे लिखें सरल मंत्रों से अर्पित करें
-ॐ हराय नम:



-ॐ महेश्वराय नम:

-ॐ शम्भवे नम:

-ॐ शूलपाणये नम:

-ॐ पशुपतये नम:

-चमेली के फूल व तेल अर्पितकर शिव जी को यथाशक्ति दूध से बने मीठे पकवानों का भोग लगाएं। आखिर में शिवलिंग की घी के दीप और कर्पूर आरती कर मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करें। धार्मिक मान्यताओं में ऐसी शिव पूजा बिना संशय के सर्व सुख, कीर्ति, प्रसिद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा व मनचाहा वाहन सुख प्रदान करती है।

मेष-रिश्तों में समझ की कमी के कारण रिश्ते टूटने की स्थिति बन सकती है।

क्या करें-सात अशोक वृक्ष के पत्ते घर के मंदिर में रखें।
क्या न करें-यात्रा से बचें।

वृष-परिवार व मित्रों का विरोध झेलना पढ़ सकता है इसका कारण आपका स्वाभाव है।

क्या करें-धनदा यंत्र घर में स्थापित कर दर्शन करें तो आशातीत लाभ होगा।

क्या न करें-दूसरे के विवाद से बचें।

मिथुन-मानसिक तनाव से बचना ज़रूरी है। परिवार की आवश्यकताओं पर ध्यान दें।

क्या करें-हरे रंग का रुमाल अपने पास रखें।

क्या न करें-कुछ समय के लिए मित्रों से दूरी बनाएं।

कर्क-पार्टनर से झगड़ा संभावित है। व्यहार सौम्य रखें, विवाद से बचने का प्रयास करें।

क्या करें-शिवयंत्र को घर के पूजन स्थल पर स्थापित कर पूजन करें।

क्या न करें-किसी के गलत कार्य में सहयोग न करें।

सिंह-आपको परिवार में सज्जनों के संम्पर्क में आने के अवसर प्राप्त होगें।

क्या करें-ॐ नम: शिवाय का एक रुद्राक्ष माला जप करें।

क्या न करें-कठोर वचन न बोलें।

कन्या-कोई अप्रिय सूचना आपको मानसिक अस्थिरता दे सकता है।

क्या करें-आज दोपहर दही-भात का भोग लगाकर ग्रहण करें।

क्या न करें-ब्रह्मण का अनादर न करें।

तुला-कहीं दूर या विदेश में रह रहा आपका कोई मित्र मददगार सिद्ध हो सकता है।

क्या करें-चांदी का चंद्र यंत्र तथा मंगल यंत्र बनवाकर घर के मंदिर में स्थापित करें।

क्या न करें-व्यर्थ की यात्रा को टालें।

वृश्चिक-साथी के साथ भ्रमण के लिए जा सकते हैं।

क्या करें-कन्याओं को हरे रंग के वस्त्र उपहार में भेंट करें।

क्या न करें-किसी का उपहास न करें।

धनु-कोर्ट कचहरी के मामलों से दूर रहना हितकारी रहेगा।

क्या करें-ॐ हिरण्यगर्भाय अव्यक्त रूपिणो नम: का मोती की माला से जाप करें।

क्या न करें-किसी का दिल न दुखाएं।

मकर-आपकी बच्चों से जुड़ी लालसा भी पूरी हो सकती है।

क्या करें-भगवान विष्णु की पूजा करें।

क्या न करें-निवेश न करें।

कुम्भ-अधिक समय परिवार को देने का प्रयास करें।

क्या करें-हनुमानजी को चोला चढ़ाएं।

क्या न करें-तनाव ना लें।

मीन-परिवार के साथ काम करने की आपकी लालसा पूर्ण होगी।

क्या करें-श्री सूक्त का पाठ करें।

क्या न करें-भाग दौड़ अधिक ना करें।

कालसर्पदोष के निवारण के लिये नाग पंचमी के दिन शिव की पूजा कर चांदी के नाग का जोड़ा चढ़ाएं और एक जोड़ा चांदी का सर्प बहते जल में बहाएं।
कालसर्प योग हो और जीवन में लगातार गंभीर बाधा आ रही हो तब किसी विद्वान ब्राह्मण से राहु और केतु के मंत्रों का जप कराया जाना चाहिए और उनकी सलाह से राहु और केतु की वस्तुओं का दान या तुलादान करना चाहिए।
सावन में हर राशि का व्यक्ति शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करे। शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरुर चढ़ावें। इसके अलावा जानते हैं कि किस राशि के व्यक्ति को किस पूजा सामग्री से शिव पूजा अधिक शुभ फल देती है
मेष – इस राशि के व्यक्ति जल में गुड़ मिलाकर शिव का अभिषेक करें। शक्कर या गुड़ की मीठी रोटी बनाकर शिव को भोग लगाएं। लाल चंदन व कनेर के फूल चढ़ावें।

वृष- इस राशि के लोगों के लिए दही से शिव का अभिषेक शुभ फल देता है। इसके अलावा चावल, सफेद चंदन, सफेद फूल और अक्षत यानि चावल चढ़ावें।

मिथुन – इस राशि का व्यक्ति गन्ने के रस से शिव अभिषेक करे। अन्य पूजा सामग्री में मूंग, दूर्वा और कुशा भी अर्पित करें।

कर्क – इस राशि के शिवभक्त घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही कच्चा दूध, सफेद आंकड़े का फूल और शंखपुष्पी भी चढ़ावें।

सिंह – सिंह राशि के व्यक्ति गुड़ के जल से शिव अभिषेक करें। वह गुड़ और चावल से बनी खीर का भोग शिव को लगाएं। गेहूं और मंदार के फूल भी चढ़ाएं।

कन्या – इस राशि के व्यक्ति गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। शिव को भांग, दुर्वा व पान चढ़ाएं।

तुला – इस राशि के जातक इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें और दही, शहद और श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाएं। सफेद फूल भी पूजा में शिव को अर्पित करें।

वृश्चिक – पंचामृत से शिव का अभिषेक वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। साथ ही लाल फूल भी शिव को जरुर चढ़ाएं।

धनु – इस राशि के जातक दूध में हल्दी मिलाकर शिव का अभिषेक करे। भगवान को चने के आटे और मिश्री से मिठाई तैयार कर भोग लगाएं। पीले या गेंदे के फूल पूजा में अर्पित करें।

मकर – नारियल के पानी से शिव का अभिषेक मकर राशि के जातकों को विशेष फल देता है। साथ ही उड़द की दाल से तैयार मिष्ठान्न का भगवान को भोग लगाएं। नीले कमल का फूल भी भगवान का चढ़ाएं।

कुंभ – इस राशि के व्यक्ति को तिल के तेल से अभिषेक करना चाहिए। उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं और शमी के फूल से पूजा में अर्पित करें। यह शनि पीड़ा को भी कम करता है।

मीन – इस राशि के जातक दूध में केशर मिलाकर शिव पर चढ़ाएं। भात और दही मिलाकर भोग लगाएं। पीली सरसों और नागकेसर से शिव का चढ़ाएं।

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