भगवन शंकर द्वारा उपदिष्ट प्रभात -मंगल

सर्व प्रथम ब्राह्ममुहूर्त में उठकर भगवन शंकर द्वारा उपदिष्ट प्रभात -मंगल का स्मरण करना चाहिये! उसके द्वारा-देवग्रहादि-स्मरण से दिन मंगलमय बीतता है और दु:स्वप्न का फल शांत हो जाता है! वह सुप्रभात स्तोत्र इस प्रकार है:

ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरान्ताकारी भानु: शशी भूसुतो बुद्धश्च! 
गुरुश्च सह भानुजेन कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम!! 
सनत्कुमार: सनक: सनन्दन: सनातनोsप्यासुरिपिन्गलो च! 
सप्त स्वरा: सप्त रसातालाश्च कुर्वंतो सर्वे सुप्रभातम!! 
सप्तार्णवा: सप्तकुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीपवराश्च सप्त ! 
भूरादिकृत्वा भुवनानि सप्त कुर्वन्तु सर्वे मम सु प्रभातम!! 

इस प्रकार परम पवित्र सुप्रभात के प्रात:काल भक्तिपूर्वक उच्चारण करने से दुस्वप्न का अनिष्ट का फल नष्ट होकर सुस्वप्न फलरूप में प्राप्त होता है! सुप्रभात का स्मरण कर पृथ्वी का स्पर्शपूर्वक प्रणाम करके शय्या त्याग करना चाहिये! 

मन्त्र इस प्रकार है:

समुर्दवसने देवी पर्वतस्तनमंडले! 
विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व में!! 

श्री कालिका हृदय स्तोत्रम

!! अथ श्री कालिका हृदय स्तोत्रम !!

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हं हं हं हंस हँसी स्मित कह - कह चामुक्त- घोराटट-हासा!!
खं खं खं खडग-हस्ते त्रिभुवन-निलये कालिका काल-धारी!!१!!
रं रं रं रंग-रंगी प्रमुदित वदने पिंग-केशी श्माशाने !
यं रं लं तापनीये भाकुटिघट घटाटोप टंकार जापे!!२!!
हं हं हंकार -नादं नर-पिशित-मुखी संघानी साधु-देवी!
ह्रीं ह्रीं कुष्मांड-भुंडी वर वर ज्वलिनी पिंग-केशी कृशांगी !!३!!
खं खं खं भूत-नाथे कीलि कीलि किलिके एहि एहि प्रचंडे !
ह्रूं ह्रूं ह्रुं भूत नाथे सुर गण नमिते मातरम्बे नमस्ते!!४!!
भां भां भां भाव भावैर्भय हन हानितं भुक्ति मुक्ति प्रदात्री!
भीं भीं भीं भीमकाक्षिर्गुण गुणित गुहावास भोगी स भोगी !!५!!
भूं भूं भूं भूमि कम्पे प्रलय च निरते तारयन्तं स्व नेत्रे!
भें भें भें भेदनीये हरतु मम भयं कालिके! त्वां नमस्ते!!६!!
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!! अथ फलश्रुति:!! 
आयु: श्री वर्द्धनीये विपुल रिपु हरे सर्व सौभाग्य हेतु:!!
श्रीकाली शत्रु नाशे सकल सुख करे सर्व कल्याण मूले!!७!!
भक्त्या स्तोत्रं त्रि-संध्यं यदि जपति पुमानाशु सिद्धि लभन्ते!
भूत प्रेतादि रण्ये त्रिभुवन वशिनी रूपिणी भूति युक्ते!!८!!
!! श्रीकाली तंत्रे कालिका हृदय स्तोत्रं सम्पूर्णम !!