
ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरान्ताकारी भानु: शशी भूसुतो बुद्धश्च!
गुरुश्च सह भानुजेन कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम!!
सनत्कुमार: सनक: सनन्दन: सनातनोsप्यासुरिपिन्गलो च!
सप्त स्वरा: सप्त रसातालाश्च कुर्वंतो सर्वे सुप्रभातम!!
सप्तार्णवा: सप्तकुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीपवराश्च सप्त !
भूरादिकृत्वा भुवनानि सप्त कुर्वन्तु सर्वे मम सु प्रभातम!!
इस प्रकार परम पवित्र सुप्रभात के प्रात:काल भक्तिपूर्वक उच्चारण करने से दुस्वप्न का अनिष्ट का फल नष्ट होकर सुस्वप्न फलरूप में प्राप्त होता है! सुप्रभात का स्मरण कर पृथ्वी का स्पर्शपूर्वक प्रणाम करके शय्या त्याग करना चाहिये!
मन्त्र इस प्रकार है:
समुर्दवसने देवी पर्वतस्तनमंडले!
विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व में!!
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