kaal Sarp yog ke upaye...



आपकी कुण्डली में कालसर्प योग है इस बात का पता कुण्डली में ग्रहों की स्थिति को देखकर पता चलता है लेकिन कई बार जन्म समय एवं तिथि का सही ज्ञान नहीं होने पर कुण्डली ग़लत हो जाती है. इस तरह की स्थिति होने पर कालसर्प योग आपकी कुण्डली में है या नहीं इसका पता कुछ विशेष लक्षणो से जाना जा सकता है.|
कुण्डली में राहु और केतु की उपस्थिति के अनुसार व्यक्ति को कालसर्प योग (Kalsarp Dosha) लगता है. कालसर्प योग को अत्यंत अशुभ योग माना गया है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है उसका पतन होता है.यह इस योग का एक पक्ष है
जबकि दूसरा पक्ष यह भी है कि यह योग व्यक्ति को अपने क्षेत्र में सर्वक्षेष्ठ बनता है।
कालसर्प योग (Kalsarp Yoga) का प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथों में विशेष जिक्र नहीं आया है.तकरीबन सौ वर्ष पूर्व ज्योर्तिविदों ने इस योग को ढूंढ़ा.इस योग को हर प्रकार से पीड़ादायक और कष्टकारी बताया गया.आज बहुत से ज्योतिषी इस योग के दुष्प्रभाव का भय दिखाकर लोगों से काफी धन खर्च कराते हैं.ग्रहों की पीड़ा से बचने के लिए लोग खुशी खुशी धन खर्च भी करते हैं.परंतु सच्चाई यह है कि जैसे शनि महाराज सदा पीड़ा दायक नहीं होते उसी प्रकार राहु और केतु द्वारा निर्मित कालसर्प योग हमेंशा अशुभ फल ही नहीं देते.
अगर आपकी कुण्डली में कालसर्प योग (Kalsarp Yoga) है और इसके कारण आप भयभीत हैं तो इस भय को मन से निकाल दीजिए.कालसर्प योग से भयाक्रात होने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि इस योग ने व्यक्तियों को सफलता की ऊँचाईयों पर पहुंचाया है.कालसर्प योग से ग्रसित होने के बावजूद बुलंदियों पर पहुंचने वाले कई जाने माने नाम हैं जैसे धीरू भाई अम्बानी, सचिन तेंदुलकर, ऋषिकेश मुखर्जी, पं. जवाहरलाल नेहरू, लता मंगेशकर आदि|

कालसर्प के लक्षण 
कालसर्प योग से पीड़ित होने पर स्वप्न में मरे हुए लोग आते हैं. मृतकों में अधिकांशत परिवार के ही लोग होते हैं. इस योग से प्रभावित व्यक्ति को सपने में अपने घर पर परछाई दिखाई देती है. व्यक्ति को ऐसा लगता है मानो कोई उसका शरीर और गला दबा रहा है. सपने में नदी, तालाब, समुद्र आदि दिखाई देना भी कालसर्प योग से पीड़ित होने के लक्षण हैं. 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस योग से प्रभावित व्यक्ति समाज एवं परिवार के प्रति समर्पित होता है वे अपनी निजी इच्छा को प्रकट नहीं करते और न ही उन्हें अपने सुख से अधिक मतलब होता है. इनका जीवन संघर्ष से भरा होता है. बीमारी या कष्ट की स्थिति में अकेलापन महसूस होना और जीवन बेकार लगना ये सभी इस योग के लक्षण हैं. 

इस प्रकार की स्थिति का सामना अगर आपको करना पड़ रहा है तो संभव है कि आप इस योग से पीड़ित हैं. इस योग की पीड़ा को कम करने के लिए इसका उपचार कराएं. 

कालसर्प योग कारण 
कर्म फल की बात सभी शास्त्र और धर्म में बताया गया है. हम जैसा कर्म करते है उसी के अनुरूप हमें फल मिलता है. कालसर्प योग के पीछे भी यही मान्यता और धारणा है. मान्यताओं के अनुसार कालसर्प योग उस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है जिसने पूर्व जन्म में सांप को मारा हो या किसी बेकसुर जीव को इतना सताया हो कि उसकी मृत्यु हो गयी हो. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जब व्यक्ति की प्रबल इच्छा अधूरी रह जाती है तब व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए पुनर्जन्म लेता है और ऐसे व्यक्ति को भी इस योग का सामना करना होता है. |

वैदिक ज्योतिष के समान लाल किताब भी भविष्य जानने की एक विधा है.लाल किताब में ग्रहों के योग और उनके फल के सम्बन्ध में अपनी मान्यताएं है.ज्योतिष की इस विधा में भी कालसर्प है और इसका फल एवं उपाय है लेकिन कालसर्प को देखने का नजरिया अलग है.आइये हम भी लाल किताब से कालसर्प को जानें.

लाल किताब (Lalkitab - The astrology wonderbook) कालसर्प को दोष मानता है बल्कि इसे योग मानता है.राहु और केतु विभिन्न खानों में बैठकर 12 तरह के विशेष योग बनाते हैं.जिस प्रकार अन्य ग्रह अलग अलग खानो में बैठकर शुभ और अशुभ फल देते हैं उसी प्रकार राहु केतु भी शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं.ज्योतिष की इस विधा में राहु को सांप का सिर और केतु को उसका दुम माना गया है.कुण्डली में सूर्य से लेकर शनि तक सभी सात ग्रह जब राहु और केतु के बीच होते हैं तब कालसर्प योग बनता है.

लाल किताब के अनुसार जब मंगल और शनि जन्म कुण्डली में एक साथ हों अथवा द्वादश में और चन्द्रमा चतुर्थ भाव में तब राहु अशुभ फल नहीं देता है एवं कालसर्प बाधक नहीं होता है.राहु के अशुभ होने पर दक्षिण की ओर अगर घर का मुख्यद्वारा हो तो आर्थिक परेशानी बनी रहती है.आर्थिक नुकसान और कई प्रकार की उलझनें एक के बाद एक आती रहती है.कालसर्प में इस प्रकार की स्थिति में लाल किताब यह उपाय बताता है कि व्यक्ति को मसूर की दाल अथवा कुछ धन सफाई कर्मी को देना चाहिए.

लाल किताब में ग्रहों के उपाय और टोटकों को विशेष रूप से बताया गया है.राहु केतु से पीड़ित होने पर स्वास्थ्य लाभ हेतु रात को साते समय सिरहाने में जौ रखकर सोना चाहिए और इसे सुबह पंक्षियों को देना चाहिए.सरकारी पक्ष से परेशानी होने पर एवं रोजी रोजगार और व्यापार में कठिनाई आने पर अपने वजन के बराबर लकड़ी का कोयला चलते पानी में प्रवाहित करना चाहिए.केतु के अशुभ स्थिति से बचाव हेतु दूध में अंगूठा डालकर उसे चूसना चाहिए.सूर्य और चन्द्र की वस्तु यथा स्वेत वस्त्र, चांदी और तांबा दान करना चाहिए.

कालसर्प योग शांति
कालसर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए शास्त्रो में जो उपाय बताए गये हैं उनके अनुसार प्रतिदिन पंचाक्षरी मंत्र "ऊँ नम शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का 108 जप करना चाहिए. काले अकीक की माला से राहु ग्रह का बीज मंत्र 108 बार जप करना चाहिए. शनिवार के दिन पीपल की जड़ को जल से सिंचना चाहिए. नागपंचमी के दिन व्रत रखकर नाग देव की पूजा करनी चाहिए. मोरपंखधारी भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए. शनिवार या पंचमी तिथि के दिन 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. धातु से बने 108 नाग नागिन के जोड़े बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए. सोमवार के दिन किसी विद्वान पंडित से रूद्राभिषेक कराना चाहिए. कालसर्प गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए. इन उपायों से काल सर्प और सर्प योग के अनिष्टकारी प्रभाव में कमी आती है और जीवन में इनके कारण आने वाले अवरोधों का सामना नहीं करना होता है. 

जो व्यक्ति कालसर्प योग में होते हैं वे सांप से भयभीत रहते हैं. इन्हें सांप काटने का डर लगा रहता है. सपने में शरीर पर सांप लिपटा होना दिखाई देना या सांप का सपना आना यह भी इस योग के लक्षण हैं. ऊँचाई पर जाने पर अनजाना भय सताना, घबराहट और बेचैनी होना तथा सुनसान स्थानों पर जाने से मन में भय आना कालसर्प का लक्षण माना जाता है. 

लाल किताब से कालसर्प के उपाय
लाल किताब के अनुसार कालसर्प योग में राहु खाना नम्बर एक में हो और केतु खाना नम्बर सात में तब अपने पास चांदी की ठोस गोली रखनी चाहिए.राहु दो में और केतु आठ में तब दो रंगा का कम्बल दान करना चाहिए.तीन और नौ में क्रमश: राहु केतु हो तो चने की दाल नदी अथवा तलाब में प्रवाहित करना चाहिए.सोना धारण करने से भी लाभ मिलता है.चतुर्थ भाव में राहु हो और दशम भाव में केतु तब चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर के बाहर ज़मीन में दबाना लाभप्रद होता है.खाना नम्बर पांच में राहु हो और केतु खाना नम्बर ग्यारह में और सभी ग्रह इनके बीच में तब घर में चांदी का ठोस हाथी रखने से कालसर्प का विपरीत प्रभाव कम होता है.षष्टम में राहु और द्वादश में केतु होने पर कुत्ता पालने एवं बहन की सेवा करने से लाभ मिलता है. सप्तम में राहु हो और प्रथम में केतु तब लाल रंग की लोहे की गोली सदैव साथ रखना चाहिए एवं चांदी की डिब्बी में नदी का जल भरकर उसमें चांदी का एक टुकड़ा डालकर घर में रखना चाहिए.नवम में राहु हो और खाना नम्बर तीन में केतु हो तब चने की दाल बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए.

जिनकी कुण्डली में दसम खाने में राहु हो और केतु चौथे खाने में उन्हें पीतल के बर्तन में नदी या तालब का जल भरकर घर के अंधेरे कोने में रखना चाहिए.एकादश और पंचम में क्रमश: इस प्रकार की स्थिति हो तो 43 दिनों तक देव स्थान में मूली दान करना चाहिए.द्वादश खाने में राहु हो और षष्टम में केतु हो तो स्वर्ण धारण करने से लाभ होता है.