योग दिवस पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी का विशेष लेख :योग और उसके लाभ

मैं आम तौर पर योग के लाभों के बारे में बात नहीं करता क्योंकि मैं समझता हूं कि योग के सभी महान लाभ उसकी प्रतिक्रिया हैं। शुरू में लोग योग की तरफ इसलिए आकर्षित होते हैं क्योंकि उससे विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ होते हैं और तनाव से मुक्ति मिलती है निश्चित रूप से शारीरिक और मानसिक लाभ हैं- लोग शारीरिक और मानसिक बदलाव का अनुभव कर सकते हैं। ऐसे कई लोग है जिन्हें अपने पुराने रोगों से चामत्कारिक रुप से मुक्ति मिली है। शान्ति, प्रसन्नता और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से योग से निश्चित रूप से कई लाभ हैं लेकिन योग की यह विशेष प्रकृति नहीं है। योग के बारे में असली चीज यह है कि यह आपको जीवन का बड़ा अनुभव देता है और एक व्यक्ति होने के अपेक्षाकृत आप एक सार्वभौमिक प्रक्रिया के अंग बन जाते हैं। आप देखेंगे कि इससे अनोखे परिणाम आपको प्राप्त होंगे।

योग के बारे में जब पहली बार उसके भौतिक आयाम की जानकारी दी जाती है और तब यह बताया जाता है कि मानव प्रणाली इस अंतरिक्षीय ज्यामिति से कितनी भिन्न है। हम रचना की ज्यामिति की बात करते हैं। अगर आप ज्यामिति की सही जानकारी रखते हैं और उसमें प्रवीण होते हैं तब सारा टकराव समाप्त हो जाता है। आंतरिक टकराव का अर्थ होता है कि आप अपने विरुद्ध काम कर रहे हैं। यानी आप अपने आप में एक समस्या हैं। जब आप स्वयं एक समस्या हैं तब अन्य समस्याओं से आप कैसे मुकाबला करेंगे? सबकुछ तनावपूर्ण है। आप अपने जीवन में स्वयं समस्या न बनें। यदि आपके पास अन्य समस्याएं हैं तो उन पर बात करते हैं। विश्व में तमाम तरह की चुनौतियां मौजूद हैं। आप जितनी गतिविधियां करेंगे उतनी चुनौतियां आएंगी और यह सिलसिला चलता रहेगा। लेकिन आपका शरीर, मस्तिष्क, भावनाएं, ऊर्जा आपके जीवन की बाधाएं नहीं बननी चाहिए।

अगर इन सबको ठीक से दुरुस्त कर दिया जाए तो आपका शरीर और मन ऐसे-ऐसे काम करने में सक्षम हो जाएगा जिसके बारे में आपने कभी कल्पना नहीं की होगी। अचानक लोग समझने लेगेंगे कि आप महामानव बन गए हैं। अगर आप ज्यामिति से तालमेल बिठा लेते हैं तब चाहे व्यापार हो, घर हो, प्रेम हो, युद्ध हो, जो कुछ भी हो आप एक ऊंचे स्तर की कुशलता और क्षमता के साथ ये सारे काम कर पाएंगे। ऐसा इसलिए है कि चाहे चेतनावस्था हो या अवचेतनावस्था, सब ज्यामिति का काम है। आम तौर पर यह कोई चीज समझने जैसी है लेकिन सैद्धांतिक रुप से यह अस्तित्व की ज्यामिति है। सही ज्यामिति प्राप्त होने से आप सही दिशा में अग्रसर हो जाएंगे।

योग का अर्थ है जीवन की प्रणाली। इसके तहत यह समझना है कि जीवन की प्रणाली कैसे बनती है और उसका इस्तेमाल उलझन के लिए नहीं बल्कि मुक्त होने के लिए कैसे किया जा सकता है। अब शरीर को कैसे स्थिर किया जाए? शरीर को स्थिर करना सीखना आसान नहीं है। आपको याद होगा कि 70 और 80 के दशक में जब आपके घरों में टेलीविजन पहुंचा था तो आपके घर के ऊपर एल्युमीनियम का एनटीना लगा होता था। जब उसे कायदे से दुरुस्त किया जाता था तो आपके बैठक में पूरी दुनिया चली आती थी क्योंकि आपने उसे सही दिशा दे दी थी।

इसी प्रकार इस शरीर में अपार क्षमताएं हैं यदि आप इसे सही दिशा देंगे तो आप पूरे ब्रह्माण को उतार लेंगे। यही योग है। योग का अर्थ है जोड़ना। जुड़ने का मतलब है कि व्यक्ति और ब्रम्हांड के बीच का अंतर समाप्त हो जाता है। तब कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है, कुछ भी सार्वभौमिक नहीं है, सब कुछ आप ही हैं- यानी आप योग में हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि आपने किसी चीज की कल्पना की बल्कि इसका अर्थ यह है कि आपने क्या अनुभव किया। अनुभव तभी होता है जब आप सही दिशा में हों, अन्यथा वह नहीं होगा। इस शरीर को स्थिर करना सीखने का मतलब आप अपने एनटीना को सही दिशा में दुरुस्त कर रहे हैं- अगर आप सही दिशा में स्थिर रहेंगे तो पूरा अस्तित्व आपके भीतर उतर आएगा। यह योग अनुभव का एक जबरदस्त उपकरण है।

जीवन मैं योग के लाभः

योग का अर्थ एक विशेष अभ्यास करना यह अपने शरीर को हिलाना डुलाना नहीं है। योग का अर्थ है अपने उच्च स्वभाव तक पहुंचने के लिए उपयोग किया गया कोई भी तरीका। आप जो टेक्नोलॉजी उपयोग में लाते हैं उसे योग कहा जाता है।

जीवन में योग क्यों आवश्यक है? निश्चित रूप से इसका शारीरिक लाभ है। यह एक व्यक्ति के लिए बहुत कुछ है। इससे व्यक्ति अपना स्वास्थ्य सुधार सकते हैं और अपने शरीर को और लचीला बना सकते है। लेकिन एक स्वस्थ्य शरीर के साथ भी जीवन में अस्थिरता बनी रहेगी। इस ग्रह पर अस्वस्थ और दयनीय लोगों से अधिक संख्या में स्वस्थ और दुःखी लोग हैं। यदि आपको बीमारी है तो कम से कम आपके पास एक अच्छा बहाना है। अधिकतर लोगों के पास तो यह भी नहीं। योग के साथ शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक खुशी मिलेगी। लोग सरल योग प्रक्रियाओं से अनूठा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं लेकिन इससे जीवन में स्थिरता नहीं आती।

जबतक आप का अस्तित्व है मानव के सभी पक्षों को जाने बिना तब तक आप एक संघर्षपूर्ण सीमित जीवन जिएंगे। एक बात मानव शरीर और बुद्धि के साथ इस विश्व में आने पर आप जीवन के सभी पक्षों को ढूढ़ने में सक्षम होते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो व्यक्ति को कष्ट होता है क्योंकि यह शरीर तक सीमित होता है और अन्य पक्षों के अनुभवों से वंचित है। यह जीवन की प्रकृति है। आप जैसे ही इसे रोकते है यह संघर्ष करता है।

आज तंत्रिका सिद्धांत तथा आधुनिक विज्ञान जीवन के पक्षों की बात करता है। हम योग प्रणाली में हमेशा जीवन के 21 पक्षों की बात करते हैं। यदि आप अभी उपलब्ध तीन पक्षों के साथ इतना अधिक करते हैं तो आप पास 21 पक्षों के साथ जीवन में अधिक स्वतंत्रा प्राप्त करेंगे। आप आसानी से अपना जीवन से निपटलेंगे क्योंकि सभी पक्ष जीवंत हैं और आपके अनुभवों के भीतर हैं।

योगा के विषय में वास्तविक बात यह है कि योग आपको संपूर्ण समावेशी बनाता है। यह आपके जीवन के अनुभव को इतना व्यापक औऱ सम्पूर्ण समावेशी बनाता है कि आप व्यक्ति के बदले एक सार्वभौमिक प्रक्रिया हो जाते हैं जोकि प्रत्येक मनुष्य के रूप में मौलिक रूप में निहित है। आप जहां कहीं भी होंगे आप अभी जो कर रहे हैं उससे अधिक करना चाहेंगे। यह बात मायने नहीं रखती कि आपकी सोच शीर्ष पर है अथवा नीचे है फिर भी आप जो हैं उससे अधिक होना चाहते हैं। यदि थोड़ा बहुत कुछ होता है तो आप चाहते है कि कुछ और हो, कुछ और हो। यह क्या है जो आप चाहते हैं। आप सीमा रहित विस्तार चाहिते है। यह सीमा रहित विस्तार शारीरिक साधनों से नहीं हो सकता है। शारीरिक साधन एक निश्चित सीमा है। यदि आप सीमा हटाते हैं तो कुछ भी शारीरिक नहीं बचता। यह सीमाहीन्ता तभी संभावना बनती है जब एक पक्ष शरीर से बहार निकलकर आपके साथ एक जीवंत वास्तविकता बन जाता है।

यदि एक पक्ष निरंतर रूप से आपके अऩुभव में शरीर से आगे रहता है तब आप शरीर से मुक्त होते हैं और आप जीवन और मृत्यु की प्रक्रिया से मुक्त होते हैं क्योंकि यह शरीर से जुड़े हैं। स्वतंत्रता का अर्थ क्या है? सीमारहित होना और सीमारहित शारीरिक नहीं हो सकता। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया का उद्देश्य आपके शरीर से बाहर अनुभव को लाना औऱ उसे बनाए रखना है। यदि एक बार आप इसके सम्पर्क में आते हैं तो आप एक कृति नहीं बल्कि अपने जीवन के सृजनकर्ता होते हैं।

*सदगुरू प्रख्यात योगी एवं अध्यात्म गुरु हैं। लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने विचार है*