बदायूं। हिंदू धर्म जागरण मंच के तत्वावधान में एक दशक पूर्व हिंदू धर्म से ईसाई धर्म स्वीकार कर चुके लगभग ग्यारह हजार परिवारों को हिंदू धर्म में वापस कर हवन यज्ञ को साक्षी मानकर पुन: हिंदू धर्म में वापस किया गया। कार्यक्रम में करीब पंद्रह हजार स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
उल्लेखनीय है कि पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार कछला गंगा घाट स्थित गोविंद वल्लभ पंत महाविद्यालय में करीब आठ जनपदों से ऐसे ग्यारह हजार वाल्मीकि बंधु आए, जिन्होंने विकास, शिक्षा, पैसा व अन्य मूलभूत सुविधाओं के प्रलोभन में आकर हिंदू धर्म छोड़कर करीब एक दशक पूर्व ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था।
विश्व हिंदू परिषद, धर्म जागरण मंच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऐसे ग्यारह हजार लोगों की पुन: हिंदू धर्म में वापसी कराई है। धर्म जागरण मंच के संभाग प्रमुख विद्याराम पांडे ने बताया कि ऐसे लोगों को ढूंढ़-ढूंढ़ कर व उनके पूर्वजों का स्मरण कराकर पुन: हिंदू धर्म में वापस कर लिया गया है। जिससे हिंदू समाज के सम्मान का उत्थान व गौरवान्वित हुआ है।
पांडे ने बताया कि फर्रुखाबाद, हाथरस, मैनपुरी, एटा, कानपुर, कासगंज, बरेली, बदायूं के आठ जनपदों से ग्रामीण क्षेत्रों से आए ग्यारह हजार ऐसे वाल्मीकि बंधु थे, जिन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। जिन्हे गंगा स्नान, हवन यज्ञ की वेदी पर बिठाकर व शुद्धीकरण कर पुन: हिंदू समाज में वापसी की गई है।
उन्होंने बताया कि खेमचंद्र के नेतृत्व में बरेली जनपद से डेढ़ हजार लोगों को गांव लौहार नगला, पपरा, मीरापुर, बींटूपुरा, खिरकवाय, धनतियां, मुहम्मदपुर, पस्तौर, कर्मपुरा, आनंदपुर, मिर्जापुर, फिरोजपुर, अमोरा, जालिम नगला, दिवियापुर, बंडिया के लोग आए। एटा जनपद के गंजडुडवारा के नरेश कुमार ने बताया कि उसके साथ पांच सौ तीस लोग आए है। जो सन 1962 में ईसाई हो गए थे, जिसमें गांव प्रातापुर, सुल्तानगंज, गनेशपुर, सिकन्दरपुरा, विछमा, दलीपपुर, सिमरई, करीमगंज, किसौली, डालूपुर, भोसना, धारू, मडेहरी आदि के है।
गांव वालों ने बताया कि ईसाई पादरियों ने गांव के विकास व बच्चों को पढ़ाने जिम्मा लिया था, परंतु सब कुछ ढकोसला निकला। ईसाई धर्म में कुछ नहीं है। हमारा हिंदू समाज ही महान है। दातागंज, पलिया, दफतौरी, लक्ष्मनपुर, भमोरी, रतनपुर, जलालपुर, पहाड़पुर, ढोलना, एटा के पचपन लोगों ने गांव केशवपुर, मुहम्मदपुर आदि के लगभग ग्यारह हजार ईसाई धर्म से हिंदू धर्म में वापसी हो गई है। जिन्होंने अपना धर्म स्वीकार कर प्रसन्नता व्यक्त की है। विद्वान वेदाचार्यो द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण कर हवन यज्ञ किया गया। वक्ताओं ने अन्य धर्मो से हिंदू धर्म सबसे प्राचीन व बड़ा बताया है।