पारद शिवलिंग:अनुभूत प्रयोग और उपासना विधि...



करोड़ो शिवलिंगों के पूजन से जो फल  प्राप्त होता है,उससे भी कई करोर गुना अधिक फल पारद  शिवलिंग की पूजा और उसके दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है |पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है|


पारद की उत्पत्ति भोलेनाथ शंकर के वीर्य से हुई है |इस पारद की प्रशंसा में देवतुलय मनीषियों,मह ऋषियों और रस सिद्ध आचार्यों ने साठ से भी अधिक दुर्लभ ग्रंथों की रचना की है |भगवान भोलेनाथ महादेव के शरीर से उत्पन्न हुए इस श्रेष्ठं वीर्य रस पारद की तुलना ब्रह्माण्ड के किसी भी पदार्थ से नही की जा सकती| पारद शब्द की व्याख्या करें तो

प - विष्णु


अ -कालिका 


र-शिव तथा

द-ब्रह्मा के बीजाक्षर 


आश्चर्यजनक चमत्कारिक तथा सिधिप्रदायक पदार्थों में पारद शिवलिंग का विशेष महत्व है|


भगवान शंकर को पारा अत्यधिक पसंद है तथा रसराज पारद भोले बाबा का शक्ति रुपी विग्रह होने के कारण ही समस्त सुरासुर तथा देवी देवताओं के लिए अनुकार्निये एवं वन्द्निये है |पारद शिवलिंग के दर्शन एवं पूजनादि करने से मनुष्य को अति आनंद की अनुभूति होती है |और समस्त सांसारिक बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है|


जो मनुष्य पारदेश्वर की भक्तिपूर्वक पूजा-अभिषेक तथा नित्य दर्शन करता है,उसे तीनो लोकों में स्थित समस्त ज्योतिर्लिंगो एवं शिवलिंगों के पूजन का फल मिलता है |इस अद्भुत तथा दिव्य पारद शिवलिंग का मात्र नित्य दर्शन करना ही महा पुन्य्दाई है|


प्रदोष व्रत काल और श्रावण मॉस में प्रत्येक सोमवार को प्रात इस दिव्य पारद शिवलिंग की विशेष पूजा तथा लिंगाभिशेक करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं|जहां पर्द्लिंग है वहाँ पर रिधि-सीधी,शुभ-लाभ,सुख-शान्ति,धन-सम्पति,कीर्ति और स्वयम भू महालक्ष्मी का स्थाई निवास होता है|वहीं पर समस्त देवी देवता और सीढियों का वास होता है|यह अलोकिक पारद शिवलिंग जिस किसी भी घर,ऑफिस दूकान दुकान ,फेक्टरी,व्यापर स्थल अथवा पूजा स्थल में स्थापित होता है और प्रतिदिन इसकी पूजा तथा अभिषेक किया जाता है,उस स्थान से अनिष्ट-आपदाएं,रोग-दोष,द्वेष-क्लेश,दरिद्रता और भुत-प्रेतादि ऊपरी बाधाएं स्वत; ही दूर रहती हैं|उस जगह पर किसी भी प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों का  दुष्प्रभाव कतई भी नहीं पङ सकता है|


पारद शिवलिंग के शिवलिंग के अनुभूत प्रयोग:



पारद शिवलिंग का महत्व इसकी विशेषताओं तथा इसके प्रयोगों के विषय में यदि विस्तारपूर्वक पूर्वक वर्णन किया जाये तो सकता है की एक विशाल ग्रन्थ तियार हो जाये| |तथापि कुछेक अनुभूत प्रयोगों का संक्षिप्त वर्णन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है|


विवाह बाधा निवारण हेतु प्रयोग:


विवाह न हो पाने अथवा विवाह में अनावश्यक विलम्ब या बाधा उत्पन्न होने की समस्या हरेक परिवार में बनी हुई है|घर में अविवाहित लड़का अथवा लड़की के विवाह बाधा निवारणार्थ मंत्र्सिध चैतन्य पार्द्लिंग को घर के पूजा-स्थल में विधिपूर्वक स्थापित करके अविवाहित जातक शीघ्र विवाह की कामना के साथ इकीस दिनों तक पारद शिवलिंग की पूजा उपासना,अराधना तथा अभिषेक करते हुए श्र्धपूर्व्क साधना करे तो चमत्कारी रूप से विवाह सम्बन्ध तय हो सकता है|

तांत्रिक दोष निवारण हेतु उपयोग:

कई बार ईष्र्या,लोभवश अथवा अन्य किसी दुर्भावना वश कोई शत्रु टोना-टोटका करा देता है,जिसके कारण जन-तन,धन,हानि आर्थिक-मानसिक तथा शारीरिक पीड़ा और मृत्यु तुली कष्टों का सामना करते हुए जीवन नर्क समान हो जाता है|यदि आपको भी लगता है की  कुछ ऐसा आपके साथ भी हुआ है तो आप शीघ्र ही मन्त्र सिद्ध,चैतन्य,प्रबल,उर्जावान पारद शिवलिंग को घर में स्थापित करके योग्य ब्राह्मणों से उस पर रुद्राभिषेक करवाकर नित्य पूजा-उपासना करना प्रारम्भ कर देवें|

रोग मुक्ति हेतु प्रयोग:

यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के गंभीर रोग से पीड़ित हो उस पर किसी भी प्रकार की चिकित्सा का कोई असर नही हो रहा हो तो ऐसे में चिकित्साकिय उपचार के अतिरिक्त सिद्ध पारद शिवलिंग की साधना स्वयं करे अथवा योग्य विद्वान से करवाए तथा पारदेश्वर पर अभिषेक किया हुआ जल रोगी को एक-एक चम्मच दिन में तीन बार पिलाये तो आश्चर्यजनक रूप से रोगी पर स्वस्थता के लक्षण नज़र आने लग जाते है|

वास्तुदोष निवारक प्रयोग :

यदि किसी घर,दूकान,फैक्ट्री,ऑफिस,प्लाट,कारखाना अथवा व्यापार स्थल में वास्तुदोष हो तथा उसके निवारण हेतु तोड़-फोड किया जाना ही एकमात्र उपाय हो तो ऐसे में किसी भी प्रकार से मंत्र्सिध चैतन्य पारद शिवलिंग कहीं से प्राप्त करके उस स्थान पर विधिपूर्वक स्थापित करके नित्य पूजा अभिषेक करें|तो उस स्थान का वास्तुदोष सदैव के लिए समाप्त हो जाता है|

पारद शिवलिंग की उपासना विधि:

पारदेश्वर शिवलिंग की पूजन विधि सहज और सरल होने के साथ-साथ शीघ्र फलदायी भी है |
किसी भी सोमवार अथवा गुरूवार के दिन किसी पवित्र स्थान अथवा पूजा स्थल पर पारद शिवलिंग की स्थापित करके जल,दुग्ध था पंचाम्रत से स्नानादि करवाकर पंचोपचार पूजन करके श्रद्धापूर्वक बिल्वपत्र,आक,धतुरा,इत्यादि चरावें था प्रतिदिन मंत्र्सिध चेतन्य रुद्राक्ष माला से महा मृतुन्जय का १०८ दफा जप करें|
कुछ ही दिनों में आश्चर्य रूप से चमत्कारिक अनुभूति होने लगेगी|