एक महान ऋषि हुए वागभट्ट ऋषि जिन्होंने आयुर्वेद के ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक शास्त्र की रचना की, जिसका नाम “अष्टांग हृदयं” है| इस अष्टांग हृदयं शास्त्र में लगभग ७००० श्लोक दिए गए है| यह श्लोक मनुष्य जीवन को पूरी तरह से निरोगी बनाने के लिए है| दुनिया में आयुर्वेद ही एक मात्र शास्त्र या चिकित्सा पद्धति है जो मनुष्य को निरोगी जीवन देने की ग्यारंटी देता है|
बाकी अन्य सभी चिकित्सा पद्धतियों में “पहले बीमार बने फिर आपका इलाज किया जायेगा”, लेकिन ग्यारंटी कुछ भी नहीं है| इसलिए जो भी नागरिक अपने जीवन को निरोगी रखकर लम्बी आयु चाहते है, उन सभी को आयुर्वेद के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए| निरोगी जीवन के बिना किसी को भी धन की प्राप्ति, सुख की प्राप्ति, धर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती है| रोगी व्यक्ति किसी भी तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकता है| रोगी व्यक्ति कोई भी कार्य करके ठीक से धन भी नहीं कमा सकता है| हमारा स्वस्थ शरीर ही सभी तरह के ज्ञान को प्राप्त कर सकता है| शरीर के नष्ट हो जाने पर संसार की सभी वस्तुएं बेकार है| यदि स्वस्थ शरीर है तो सभी प्रकार के सुखों के आनंद लिया जा सकता है|”
प्रस्तुत CD में राजीव भाई के द्वारा इन ७००० में से १५ मुख्य एवं अति आवश्यक श्लोक/सूत्रों को आज की जीवनशैली के हिसाब से बहुत ही सरल एवं आदर्श तरीके से प्रस्तुत किया है| जिसका पालन करके आप पूरी तरह से निरोगी जीवन व्यतीत कर सकते है|
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