महाभारतकाल ३६०० साल के ११०० साल बाद बौध्ध,महावीर,अशोक के काल बाद अती पिछडा,जन्गली,अग्यानि ऐसे अरब मे मुहम्मद साहब ने इस्लामकी नीव रखी। वे कुछ पढे-लिखे नही थे लेकीन उन्मे इश्वर-श्रध्धा और आस्तीकभाव ज्याद था।उन्के वचन कुरान मे है।उस समय स्त्री केवल वासना का साधन थी,अनेक पत्नीप्रथा और गुलामी के कुरिवाज़ थे।उन्होने एक इश्वर्वाद क प्रचार कीया लेकीन ये प्रचार सहिस्णुता,शान्ती,सेवा करनेसे बदले उन्के अनुयायीओने अपने अपने तरीके से तलवार से कीया। जिन्होने इस्लाम का अस्वीकार कीया उन्को मार दिया गया। इसी तरह सुरु से इस्लाम इस सन्सार मे भय,आतन्क,अत्याचार का प्रतिक बना। कुरान मे इस्लाम का दार्शनिक,आध्यात्मीक पहलु शुन्य रहा। जन्नत का सुख,हुरे,शराब का लालच,स्त्रीओ को खेती समझना(मन्झील-१,सिपारा-२),तौबा करने से क्षमा मिलना,आदी बाते गरीब और अशिक्षित लोगो को बेह्लाने वालि और हास्यप्रद है।आधे मुस्लिम रोजा,नमाज़,हज,दान को पुन्य कर्म मानते है। जबकी अहीन्सा,प्रेम,करुणा जैसी मानवीय भावनाओको इस्लाम्मे स्थान नही है। इन सब बातो से ऐसा लगता हैकी कुरान इश्वर का बनाया या किसी विद्वान से निर्मीत ग्रन्थ नही है।जो कुछ थोडा अच्छा है,ग्राह्य है।
-महर्षि दयानन्द सरस्वती(सत्यार्थ प्रकाश,१४ वा समुल्लास)
3 comments:
not readable
could you possibly put it in plain english??
आप ने इस्लाम को पुरी तरह समजा नही और सोचे समजे बगैर इतना बडा इलजाम लगाकर जुल्म कीया!! आपकी सोच के मुताबीक तो आज इस्लामका वुजुद ही बाकी नही रह सकता. लेकीन आजभी इस्लाम पुरी दुनीया मे फैल रहा है इसकी क्या वजह हो सकती है?
islam ka ek din to aant hona he hai aaj kyu nahi jai sri ram
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