सबल हन्दू राष्ट

एक समय था जब हमारा देश महान और अखंङ था़। अबभी यदि हम अपनी संयुक्त धरोहर-वेद,भगवदगीता और रामायण इत्यादि पर बल दें और अपने बीच विधमान मतमतान्तरों के मतभेदों से ऊपर उठने का प्रयत्न करें तो हम परमात्मा की दया से शीधृ ही सभी मतावलम्बियों को जोडकर एक सबल हन्दू राष्ट बन सकते है। सभी हिन्दूओं के सामने यह साझा लक्ष्य होना चाहिए।
-लोकमान्य तिलक

No comments: