नवरात्री में दुर्गा पूजा कैसे करे


सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमस्तुते || ||


नवरात्र के नों दिन माता के सामने अखंड ज्योत जलाई जाती है| इस कामना के साथ की माता की साधना में कोई विघन न आये |मंत्र की शास्त्र पुस्तिका के अनुसार दीपक या अगनी के समक्ष किये गये जप का साधक को हज़ार गुना फल प्राप्त होता है |


"दीपन घृत युतं दक्षे , तेल युतः वामतः |

अर्थात : धृत युक्त ज्योति देवी के दाहिनी और तेल युक्त ज्योति देवी के बाएँ और रखनी चाहिए |

देवी माँ को लाल रंग बहुत पसंद है लेकिन क्यूँ ?

पूजा के दौरान देवी को गुलाव या कनेर का लाल फूल अर्पित करना चाहिए| मान्यता यह है की देवी माँ को लाल पुष्प चढाने से इच्छा शक्ति दृढ होती है और मनोकामनाए पूर्ण होती है| लेकिन ध्यान रखें की पूजा के दौरान देवी को दूर्वा चदावें,क्योंकि यह उन्हें अप्रिय हैं |

देवी की पूजा में कलश की महत्ता :

शास्त्रों के मुताबिक पूजा के दौरान स्थापित किये जाने वाले कलश में तेतीस करोड़ देवी -देवताओं का वास होता है और इन सभी की शक्तियां कलश में विराजमान रहती है इसलिए देवी की पूजा में कलश स्थापना का खास महत्व होता है |कलश के ऊपर रखा जाने वाला नारियल शिव -शक्ति का प्रतीक होता है |कहतें हैं कलश स्थापना से सोभाग्य,विजय के साथ-साथ पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है और सभी विघन दूर होते है |

देवी की पूजा में ज्वार का महत्त्व :

देवी की पूजा के प्रथम दिन ज्वार बोए जाते हैं,जो हमारी साधना की सफलता का प्रतीक होते हैं|कहतें हैं ज्वारों का अनुकरण माता की कृपा से होता है|बोए जाने के बाद यह जों जल को अवशोषित करके फूलता है और जों का अनुकरण नवीन जीवन की उत्पति दर्शाता है|


कन्या पूजन :

नवरात्री में कन्याओं का पूजन विशेष महत्व रखता है|कन्या को देवी का रूप मानकर उनका पूजन किया जाता है|शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की ,दो की पूजा से भोग और मोक्ष की,तीन की पूजा से धर्म,अर्थ,एवं काम की,चार की पूजा से राज्यपद की,पांच की पूजा से विद्या की,छेह की पूजा से शत करम सिधि,सात की पूजा से राज्य की,आठ की पूजा से सम्पर्धा की और नो कन्याओं के पूजन से प्रभुत्व की प्राप्ति माना जाता है.कुमारी पूजन में दस वर्ष की कन्याओं का पूजन निहित है |

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